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Flashbacks 2018: इस साल मैरी काॅम ने अपने खेल से लिखी एक नर्इ इबारत


खेल जगत में जब भी इस साल को याद किया जाएगा भारत की स्टार मुक्केबाज मैरी काॅम का नाम जरूर आएगा। 2012 लंदन ओलिंपिक के बाद 2018 का ही नंबर आएगा। जब मैग्निफिसेंट मैरी मैरीगोल्‍ड बनीं। बॉक्सिंग रिंग में भारत का नाम सबसे ऊपर किया। भारत को ऐतिहासिक सफलता मिली। विश्‍व मुक्‍केबाजी चैंपियनशिप में रिकॉर्ड तोड़ छठीं बार गोल्‍ड मेडल जीता आैर अपने खेल से इस साल एक नई इबारत लिखी है। मैरी कॉम की गोल्डन शुरुआतमैरी कॉम ने साल 2018 की शुरुआत इंडियन ओपन में स्वर्ण पदक जीत कर की। फिर मैरी कॉम यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपने करियर में एक और कीर्तिमान जोड़ा।विश्व चैम्पियन ने दी उम्र को मातमैरी कॉम को साल की सबसे बड़ी सफलता नवंबर में मिली। जब भारत में ही आयोजित की गई एआईबीए विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में उन्होंने उम्र को मात दे कर अपना छठा स्वर्ण पदक आैर आेवरआॅल सातवां पदक जीता। इसी के साथ मैरी कॉम विश्व चैम्पियनशिप में छह स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज बनीं। इस साल विश्‍व चैंपियनशिप में गोल्‍ड जीतकर मैरी ने केटी टेलर को पीछे छोड़ने के साथ ही क्‍यूबा के फेलिक्‍स सैवॉन के रिकॉर्ड की बराबरी की। हुर्इ अनुभव की जीतटेलर ने पांच बार विश्‍व चैंपियनशिप में गोल्‍ड मेडल जीता। वहीं सैवॉन के नाम इस चैंपियनशिप में छह गोल्‍ड मेडल है। खिताबी मुकाबले में 35 साल की अनुभवी के सामने 22 साल की यूक्रेन की हेना ओखोटा की चुनौती थी, जिसके कारण ज्‍यादातर लोगों के मानना था कि मैरी के लिए पोडियम पर सबसे ऊपर खड़ा होना मुश्किल है, लेकिन भारत की इस लीजेंड ने सबको गलत साबित करते हुए एकतरफा मुकाबला जीता। मैरी ने हेना को 5-0 के अंतर से हराकर साबित कर दिया कि जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ रही है, विपक्षी मुक्‍केबाजों के लिए उन्‍हें हराना और भी मुश्किल हो रहा है।चुनौतीपूर्ण होंगे आने वाले दो साल साल 2018 मैरीकॉम ने लिए सफल रहा और अब आने वाले दो साल मैरी के लिए के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं। 2019 में पहले उन्‍हें ओलिंपिक के लिए क्‍वालिफाई करना होगा और इसमें सफल होने के बाद 2020 टोक्‍यो ओलिंपिक उनके लिए करियर का सबसे बड़ा लक्ष्‍य होगा। 2012 लंदन ओलिंपिक में मैरी ने ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था।इस साल मिली भारत भविष्‍य की मैरी2018 को मैरी ने भारत के लिए यादगार बना दिया। वहीं इसी साल भारत को भविष्‍य की मैरीकॉम भी मिल गई। दिल्‍ली के हुए विश्‍व चैंपियनशिप में सोनिया चहल ने 57 किग्रा में सिल्‍वर मेडल जीता। खिताबी मुकाबले में उन्‍हें जर्मनी ओमेला ने हालांकि मात दी थी, लेकिन भारत की इस युवा खिलाड़ी ने जर्मन खिलाड़ी को कड़ी टक्‍कर दी थी और यह दिखा दिया था कि डेब्‍यू में उन्‍हें भले ही सिल्‍वर मिला हो, लेकिन इस रिंग में उनका सफर अभी काफी लंबा है, जिसमें वह कई गोल्‍डन पंच जड़ने का दम रखती हैं।

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