अब पानी के रास्ते भी होगा फल-सब्जियों का निर्यात, लाखों किसानों को होगा इसका फायदा
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हर साल देश मे बड़ी मात्रा में सब्जी और फल सही तरीके से रख-रखाव और समय पर निर्यात न होने के कारण बर्बाद हो जाते हैं। खासकर निर्यात करते समय सबसे अधिक परेशानी उसके रखरखाव को लेकर ही होती है। ऐसे में कई बार कुछ फल ऐसे होते हैं, जो ज्यादा दिन तक नहीं रह पाते हैं, जिनका निर्यात जल्द से जल्द करना होता है। लेकिन अब इन वस्तुओं की शेल्फ लाइफ बढाने की नई तकनीक की खोज की गई है, जिसके बाद अमेरिका को निर्यात होने वाले फलों के राजा आम, अनार, प्याज और आलू समेत कई फलों और सब्जियों को अब जलमार्ग से भी भेजा जा सकेगा। इससे सबसे ज्यादा किसानों को फायदा होगा और उनकी आय में भी बढोतरी होगी।ये भी पढ़ेंः संसद में पहली बार दिखा स्मृति का प्रचंड गुस्सा, तमतमाई सोनिया गांधी, जानें पूरा मामलारेडिएशन मेथड की मदद से आम की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के बाद अब इसे जलमार्ग से भी भेजने की शुरुआत की जा रही है। हाल ही में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने 16 टन आम पानी के रास्ते से भेजा, जो 25 दिनों के बाद मंजिल तक पहुंचा। बार्क के अधिकारी के मुताबिक, सभी आम ठीक थे और वहां के लोगों ने केसर आम को हाथों-हाथ लिया। इस ट्रायल के बाद अब जलमार्ग से फलों और अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात का रास्ता खुल गया है। आने वाले दिनों में अनार सहित कई और फलों को भी अमेरिका जलमार्ग से भेजने का रास्ता खुल गया है। इससे पहले सीर्फ फ्लाइट से ही भेजने की व्यवस्था रही है।भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ संजीव कुमार के मुताबिक, विकिरण के माध्यम से आम सहित कई खाद्य सामग्रियों की शेल्फ लाइफ को बढ़ाया जा सकता है। देश में तकरीबन 30-40 प्रतिशत खाद्यान्नों का भंडारण सही तरीके से नहीं होने के कारण अनाज, फल और सब्जियां खराब हो जाती हैं। विकिरण तकनीक खाद्यान्नों की बर्बादी को रोकने में बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इससे आलू और प्याज के अंकुरण को रोका जा सकता है। इससे बाद 7-8 महीने तक इसे 15 डिग्री तापमान में भी रखा जा सकता है। इन खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ने किसानों को सीधे फादया होगा। उसे ज्यादा वक्त तक रखकर अच्छी कमाई की जा सकती है।ये भी पढ़ेंः आपके होश उड़ाने के लिए काफी हैं नेशनल क्रश रश्मिका मंदाना की ये सबसे BOLD तस्वीरेंएक्सपर्ट के मुताबिक, एक तो इससे अनाज जल्दी खराब नहीं होते। दूसरा भंडारण के मुकाबले खाद्यानों के रखरखाव पर होने वाले खर्च में भी आठ गुना कमी आती है। फिलहाल रेडिएशन केन्द्रों की संख्या कम है। उन्होंने बताया कि अनाज और दालों में जो कीड़े की समस्या होती है, उसे भी रोका जा सकता है। मसालों में फफूंदी की समस्या या सड़ने की समस्या को भी रेडिएशन से दूर किया जा सकता है। इससे एक साल तक शेल्फ लाइफ बढ़ाई जा सकती है। इसके साथ इसी विकिरण तकनीक से अनाज की नई किस्में भी तैयार की जा रही हैं, जिससे खाद्य उत्पादन बढ़ रहा है। बार्क ने अब तक 56 किस्में विकसित की हैं। विकिरण पद्धति में खर्च भी एक से दो रुपये प्रति किलोग्राम आता है, जो बेहद कम है।
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