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आसपास घूम रहे थे खूंखार जंगली जानवर, माइनस 20 डिग्री तापमान, फिर भी 2 महीने तक जिंदा रहा ये शख्स


रूस के साइबेरिया (Siberia area) में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक शख्स बर्फ और जंगली जानवरों (dreaded animal) के बीच बिना खाने के दो महीने तक जिंदा रहा और अब उसे रेस्क्यू कर सकुशल निकाल लिया गया है। साइबेरिया (Siberia) दुनिया के सबसे ठंडे इलाकों में से एक है। यहां खूंखार जंगली जानवरों की कमी नहीं है। ऐसे में इस शख्स के दो महीने तक जिंदा बचे रहने पर लोग आश्चर्य जता रहे हैं। इस शख्स की पहचान 45 साल के येगोर क्रिवोशप्किन (Yegor Krivoshpkin) के तौर पर हुई है। येगोर के पास खाने का कोई सामान नहीं था। जब वह यहां फंसे तक तापमान भी माइनस 20 डिग्री सेल्सियस (-20 degree snow area) पहुंच गया। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब येगोर के पास खाना ही नहीं था, तो वह जीवित कैसे रहे? इसका जवाब ये है कि येगोर के हाथ 40 साल पुराना एक टीन का बक्सा लग गया। जिसके अंदर खाना था। वो दो महीने तक इसी खाने को खाते रहे। इसे सोवियत संघ के समय चरवाहों के लिए गिराया गया था। एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा दूसरी बार है, जब येगोर क्रिवोशप्किन (Yegor Krivoshpkin) इतनी कड़ाके की ठंड में जीवित बच सके हैं। उन्हें इसलिए भी खुशकिस्मत माना जा रहा है क्योंकि ये पूरा इलाका भालू, भेडिय़ों और अन्य हिंसक जंगली जानवरों से भरा हुआ है। हालांकि बाद में येगोर को रेस्क्यू कर लिया गया। येगोर यहां खराब मौसम और जंगली जानवरों के बीच रहे। वह पेशे से चरवाहे हैं और साइबेरिया के ही याकुतिया क्षेत्र में रहते हैं। पहले तो रेस्क्यू करने वालों को लगा कि येगोर की मौत हो गई है। लेकिन फिर बाद में उन्हें ढूंढ लिया गया। जिससे उनकी जिंदगी बच सकी। जब तक वह यहां थे, तब तापमान भी माइनस 20 डिग्री तक पहुंच गया था। ये धरती का ऐसा इलाका है जहां कोई भी इंसान स्थायी रूप से नहीं रह सकता। येगोर तीन बच्चों के पिता हैं। जहां उन्हें आखिरी बार देखा गया था, वह वहां से 190 मील की दूरी पर मिले हैं।सोवियत संघ के समय करीब 4 दशक पहले आपात सेवा के तौर पर चरवाहों के लिए यहां खाना डाला गया था, जो येगोर को मिल गया। वह एक टेंट में मिले, जिसे कोई और चरवाहा छोडकऱ चला गया था। इस टेंट में खाना पकाने के लिए स्टोव और बर्तन थे। इलाका कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि येगोर को ढूंढने के बाद भी उन्हें रेस्क्यू करने में हेलीकॉप्टर को पांच दिन का वक्त लग गया।

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