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चोरी या गुम होने के बाद क्यों नहीं मिलता मोबाइल फोन, जानिए कैसे किया जाता है उसके साथ खेल


आपने देखा होगा कि एकबार चोरी या गुम होने के बाद मोबाइल फोन वापस नहीं मिल पाता, चाहे पुलिस भी कितनी ही ट्रेकिंक कर ले। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसके पीछे मोबाइल फोन का IMEI कारण बन जाता है। जी हां, IMEI नंबरों से छेड़छाड़ करके लोग आपके फोन की पहचान ही गायब कर देते हैं और फिर नकली IMEI बनाकर उसें एक्टिवेट कर लेते हैं।आपको बता दें कि चोरी या खोए हुए फोन को ब्लॉक या ट्रेस करने के लिए सरकार की ओर से सेंट्रल रजिस्ट्री लॉन्च की गई है। इसके लिए कहा जा रहा है कि चोरी या गुम हुएए मोबाइल फोन्स को ये खोज निकालेगी। लेकिन आईएमईआई नंबरों के साथ छेड़छाड़ होने के बाद यह तकनीक भी ज्यादा मददगार साबित नहीं होगी।एक जानकारी के मुताबिक भारत में करीब 4-5 प्रतिशत क्लोंड IMEI नंबर हैं यानी कुल 90 करोड़ से ज्यादा सेलफोन में 5 करोड़ क्लोंड हैं। आपको बता दें कि IMEI डिवाइस का यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है। जब भी कोई यूजर कॉल करता है, तो कॉल रिकॉर्ड से फोन करने वाले का नंबर और हैंडसेट का IMEI नंबर पता चल जाता है। हैंडसेट में दूसरी सिम लगाकर मोबाइल नंबर कभी भी बदला जा सकता है, लेकिन खास टूल की मदद से IMEI को बदलने की काबिलियत तकनीकी जानकार के पास ही होती है।आईटी एक्पर्ट्स का कहना है कि रिफर्बिश्ड या सेकेंड हैंड मोबाइल फोन मार्केट में तेजी आने से क्लोनिंग का जंजाल तेजी से बढ़ रहा है। इसमें बिना पकड़े डिवाइस बेचने के लिए सॉफ्टवेयर में नकली IMEI डालने के साथ हार्डवेयर में भी कुछ बदलाव कर दिया जाता है। ब्लैक मार्केट में मामूली कीमत पर IMEI को आसानी से बदला जा सकता है। इतना ही नहीं बल्कि टूटे या खराब सेलफोन को रिपेयर करते समय भी IMEI बदला जा सकता है। इसी वजह से सरकार मशीनरी चोरी या गुम हुए मोबाइल फोन ट्रेस करने या पकड़ने में नाकाम साबित हो जाती है।हालांकि नए आईफोन इस मामले में ज्यादा सुरक्षित हैं क्योंकि इनमें एक यूनीक सीरियल नंबर होता है, जिससे किसी तरीके से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है।अब हम twitter पर भी उपलब्ध हैं। ताजा एवं बेहतरीन खबरों के लिए Follow करें हमारा पेज : https://twitter.com/dailynews360

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