गोवर्धन पूजा का शुभ मुर्हूत और पूजन विधि
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हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। दिवाली के त्योहार में से एक गोवर्धन पूजा भी है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानी गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। आज गोवर्धन पूजा की जा रही है। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा करते हैं। गोवर्धन पूजा वैसे तो पूरे भारत में ही श्रद्धा के साथ करते हैं, लेकिन उत्तर भारत में इस पर्व की महत्ता अधिक है। कहा जाता है कि स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल के लोगों को गोवर्धन पूजा की प्रेरणा दी थी और देवराज इंद्र के अहंकार समाप्त किया था।इस बाद गोवर्धन पूजा पर्व तिथि: 28 अक्टूबर 2019, सोमवार।गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त : 03:25:46 से 17:39:44 तक।अवधि : 2 घंटे 13 मिनट तक।गोवर्धन पूजा के दिन इस पर्व में हिंदू धर्म के मानने वाले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन जी की मूर्ति बनाकर उनका पूजन करते हैं। इसके बाद ब्रज के भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाते हैं। गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चन्दन आदि से उनका पूजन किया जाता है। गायों को मिठाई का भोग लगाकर उनकी आरती उतारी जाती है।पूजा के मौके पर मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन भी किया जाता है। अन्नकूट यानि कई प्रकार के अन्न का मिश्रण, जिसे भोग के रूप में भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाया जाता है। कुछ स्थानों पर विशेष रूप से बाजरे की खिचड़ी बनाई जाती है, साथ ही तेल की पूड़ी आदि बनाने की परंपरा है। अन्नकूट के साथ-साथ दूध से बनी मिठाई और स्वादिष्ट पकवान भोग में चढ़ाए जाते हैं। पूजन के बाद इन पकवानों को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को बांटा जाता है।गोवर्धन को कृष्ण भगवान का रूप माना जाता है। ऐसा मानते हैं कि इस दिन उनकी पूजा घर में करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है। गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसे फूलों से सजाते हैं। गोवर्धन पूजा सुबह या सायंकाल के समय की जाती है। पूजा करते वक्त गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाएं। इसी दिन गाय-बैल और कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है।गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीया रख दिया जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में ये सब प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैजानिए, धनतेरस से लेकर छठ तक त्योहारों का संयोग।
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