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Navaratri 2019: सुबह नहीं कर पाएं हैं कलश की स्थापना, तो जानिए इन चार शुभ मुहूर्त के बारे में


आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से दशमी पर्यन्त माँ दुर्गा के आराधना, उपासना का परम पुण्य दायक समय होता है। 29 सितंबर 2019 दिन रविवार से शारदीय नवरात्र आरम्भ हो रहा है जो 7 अक्टूबर दिन सोमवार को महानवमी के समापन एवं 8 अक्टूबर दिन मंगलवार को विजय दशमी के पावन पर्व के साथ समाप्त होगा ।प्रतिपदा तिथि 29 सितम्बर 2019 दिन रविवार को सूर्योदय 6 बजकर 4 मिनट पर, हस्त नक्षत्र भी सम्पूर्ण दिन और रात्रि 10 बजकर 1 मिनट तक। ब्रह्म योग मात्र प्रातः 7 बजकर 20 मिनट तक ही, पश्चात पूरे दिन और रात्रि पर्यन्त तक ऐन्द्र (इन्द्र) योग विद्यमान है। व्रत का आरम्भ रविवार से होने के कारण नवरात्र ऊर्जा और शक्ति से भरपूर रहेगा। हस्त नक्षत्र का अधिपति चन्द्रमा है और दिन स्वामी सूर्य, दोनो में पूर्ण मैत्री भाव होने से यह नवरात्र मैत्री भाव की समृद्धि प्रदान करने वाला होगा। प्रतिपदा (पहली तिथि) के दिन इन्द्र योग होने से यह सर्वत्र अभ्युदय का योग भी देगा। इस दिन माता के प्रथम स्वरूप शैल पुत्री का पूजन अर्चन किया जाएगा।दिन रविवार 29 सितंबर को द्विस्वभाव या स्थिर लग्न या अभिजित मुहुर्त दिन में 11:36 बजे से लेकर 12:24 बजे तक किया जायेगा। साथ ही यदि शुभ चौघड़िया भी मिल जाये तो अति उत्तम होगा। जो निम्न है--सुबह 7:30 से 9 बजे तक चर चौघड़ियासुबह 9:00 से 10:30 बजे तक लाभ चौघड़ियासुबह 10:30 से 12 बजे तक अमृत चौघड़ियादोपहर 1:30 बजे से 3 बजे तक शुभ चौघड़िया।

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