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जानिए कोहली और धोनी जितना पैसा क्यों नहीं कमा पातीं हिमा दास जैसी बेटियां


असम की बेटी हिमा दास को अगर देश की गोल्डन गर्ल कहा जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। दरअसल आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं। महज 19 दिनों में देश के लिए लगातार 5 गोल्ड मैडल जीतना और वो भी विदेशी सरजमीं पर, यह किसी करिश्माई प्रदर्शन से कम बात नहीं है, लेकिन अफसोस की बात तो यह है कि क्रिकेट जैसे बड़े खेलों के आगे इनके तमगों की चमक फीकी पड़ जाती है। साल 2018 में भारतीय बाजार ने खिलाडिय़ों पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च किए थे। बड़ी बात यह रही कि इसमें करीब 80 फीसदी पैसा सिर्फ क्रिकेटर के पास गया। इस 80 फीसदी में से 66 प्रतिशत के हकदार सिर्फ विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी रहे। दरअसल इस वक्त जरूरत सोच बदलने की है। स्टार सिर्फ 8-10 देशों के बीच मुकाबला करने वाले क्रिकेटर ही नहीं होते। 50, 100 या 200 देशों के खिलाडिय़ों से जूझकर मेडल लाने वाले भी हमारे प्यार और सम्मान के हकदार होते हैं। स्पोर्ट्स इंडस्ट्री पर क्रिकेट का कब्जाभारत में स्पोर्ट्स इंडस्ट्री 5 साल में करीब 77 प्रतिशत बढ़ गई। स्पोर्ट्स इंडस्ट्री इस वक्त करीब 7800 करोड़ की बताई जाती है। इस ग्रोथ के सबसे बड़े हिस्से पर क्रिकेट ने कब्जा किया। हालांकि कई दूसरे खेलों की लीग शुरू होने से उन खेलों के खिलाडिय़ों की जेबों में भी पहले से ज्यादा पैसे आने लगे हैं, लेकिन क्रिकेट के मुकाबले ये बेहद अल्प ही है। प्रीमियर बैडमिंटन लीग में पीवी सिंधू और किदांबी श्रीकांत जैसे स्टार खिलाडिय़ों को सिर्फ 80-80 लाख रुपए मिलते हैं, जबकि इंडियन प्रीमियर लीग में एक औसत क्रिकेटर भी करोड़ों में खेलता है। क्रिकेट के सितारों की तो खैर बात ही कुछ और है। यही नहीं, क्रिकेटरों पर बाजार की मेहरबानी भी बेपनाह रही है। 2018 में बाजार ने 482 करोड़ रुपए एंडोर्समेंट के लिए खिलाडिय़ों को दिए। इनमें से 81 प्रतिशत पैसे क्रिकेटरों की झोली में चले गए। वैसे दिलचस्प ये भी है कि क्रिकेटरों में भी हर कोई आबाद नहीं है। 2018 में देश के खेल बाजार ने खिलाडिय़ों को प्रमोशन और दूसरी चीजों के लिए जो पैसे दिए, उनमें से 66 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ दो खिलाडिय़ों विराट कोहली और धोनी के पास चला गया।हिमा दास ने निभाई दोहरी जिम्मेदारीविदेशी जमीं पर देश के लिए स्वर्ण बटोर रहीं हिमा दास का छोटा सा राज्य असम इन दिनों बाढ़ से बेहाल है। हिमा दास पिछले कुछ समय से देश से बाहर हैं, लेकिन वहां भी अपने प्रदेश और अपनों की फिक्र है। हिमा ने अपना आधा वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया। साथ ही, बड़ी कंपनियों और दूसरे लोगों से भी अपील की है कि वे भी ऐसा करें। हिमा इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में एचआर ऑफिसर हैं। उन्होंने जाहिर किया कि वह सिर्फ ट्रैक पर ही स्टार नहीं हैं। अपनी सोच से भी ऐसी ही है।हिमा के जीते गए पांच गोल्ड- 2 जुलाई: पोजनान एथलेटिक ग्रैंड प्रिक्स पोलैंड- 7 जुलाई - कुंटो एथलेटिक्स मीट- 13 जुलाई - कल्दनो एथलेटिक्स मीट- 17 जुलाई - ताबोर एथलेटिक्स मीट- 20 जुलाई - नोवे मैस्टो, चैक रिपब्लिकगरीबी में तपकर हिमा ने जीता सोनाबता दें कि हिमा दास ने महज 18 साल की उम्र में आइएए एफ अंडर 20 में एथेलिटक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर की रेस में पहला स्थाप प्राप्त करते हुए गोल्ड मेडल जीता और ऐसा करने वाली वो पहली महिला खिलाड़ी बनीं। 18 साल की हिमा ने दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा है। वह एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। हिमा के पिता असम के नौगांव जिले के ढिंग गांव में रहते हैं। पिता रंजीत दास के पास मात्र दो बीघा जमीन है। इसी जमीन पर खेती करके वह परिवार के सदस्यों की आजीविका चलाते हैं। हिमा किसी भी जीत के समय अपने परिवार के संघर्षों को याद करती हैं और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। बता दें कि हिमा लडक़ों के साथ अपने पिता के खेत में फुटबॉल खेला करती थीं। जवाहर नवोदय विद्यालय के पीटी टीचर ने उन्हे रेसर बनने की सलाह दी। पैसों की कमी की वजह से उनके पास अच्छे जूते भी नहीं थे। स्थानीय कोच निपुन दास की सलाह मानकर जब उन्होंने जिला स्तर की 100 और 200 मीटर की स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता तो कोच भी हैरान रह गए। कभी अच्छे जूते तक नहीं थे हिमा के पासइसके बाद निपुन दास हिमा को लेकर गुवाहाटी आ गए। हिमा दास ने जिला स्तर की स्पर्धा में सस्ते जूते पहनकर दौड़ लगाई और गोल्ड मेडल हासिल किया। उनकी गति अद्भुत थी। इसके बाद निपुन दास ने उनको धावक बनाने की ठान ली और गुवाहाटी लेकर गए। कोच ने उनका खर्च भी वहन किया। शुरू में उन्हें 200 मीटर की रेस के लिए तैयार किया गया। बाद में वह 400 मीटर की रेस भी लगाने लगीं। कॉमनवेल्थ गेम्स में हिमा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया और जीत दर्ज की। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी वह शामिल हुईं लेकिन छठे स्थान पर रहीं। हिमा बैंकॉक में एशियाई यूथ चैंपियनशिप में शामिल हुई थीं और 200 मीटर रेस में सातवें स्थान पर रही थीं। हिमा पहली ऐसी भारतीय महिला बन गई हैं जिसने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक में गोल्ड मेडल जीता है। हिमा ने 400 मीटर की रेस 51.46 सेकंड में खत्म करके यह रेकॉर्ड अपने नाम किया।

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