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कार रीकॉल को अनदेखा करना पड़ सकता है भारी, रद्द हो सकता है एक्सीडेंट क्लेम

नई दिल्ली: कई बार आपने देखा होगा कि कंपनी एक बार कार बेचने के बाद भी कई मौकों पर कार को रीकॉल करती हैं। ऐसा कई वजहों से किया जाता है। फिर चाहे कोई तकनीकी खराबी हो या फिर कोई अन्य डिफेक्ट। ऐसे मामलों में कंपनी की तरफ से वाहनों को रीकॉल किया जाता है जिसमें कंपनी कुछ दिनों तक कार को अपने पास रखती है उसके बाद कार को ग्राहकों तक वापस पहुंचा दिया जाता है। लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि कार रीकॉल करने के बावजूद भी ग्राहक इसे कंपनी को नहीं सौंपते हैं ऐसे मामलों में कई बार कंपनी उस कार का दुर्घटना क्लेम रिजेक्ट कर देती है।

जानकारी के मुताबिक़ अगर कंपनी का सर्वेयर यह साबित कर देता है कि दुर्घटना की वजह कार के उस पाट्र्स से संबंधित है, जिसके लिए ऑटो कंपनी ने पूर्व में कार रिकॉल की थी, तो उस ग्राहक का दावा निश्चित रूप से खारिज कर दिया जाएगा। इसलिए ग्राहक को कार रिकॉल में हिस्सा लेना बेहद जरूरी है। समस्या चाहे छोटी हो या बड़ी दोनों ही स्थिति में ग्राहक को इस प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए।

एयरबैग्स की समस्या

कार रीकॉल के ज्यादातर मामले एयरबैग्स ( car airbags ) में खराबी को लेकर होते हैं। रीकॉल में ज्यादातर समस्या माइनर होती है और केवल एक दिन में ही इसे ठीक कर दिया जाता है। इसलिए ग्राहकों को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

कंपनी देती है सूचना

ऑटो कंपनियां कार रीकॉल के लिए ग्राहकों को ई-मेल और मोबाइल के जरिए सूचित करती हैं। इसके अलावा कंपनियां कार रीकॉल संबंधित समस्या को कार सर्विसिंग के दौरान भी ठीक कर देती है, जिसका पता ग्राहक को भी नहीं चलता, यह एक सामान्य प्रक्रिया है।

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का झटका

कुमार ने बताया कि कार रीकॉल ( car recall ) में हिस्सा न लेने का असर दुर्घटना बीमा दावे पर पड़ता है। अगर कार दुर्घटना में पूरी तरह खत्म हो जाती है, तो क्लेमेट ( दावाकर्ता ) को दावे के अनुसार कार की कीमत नहीं मिलती, लेकिन अगर गाड़ी से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है, तो क्लेमेट को सबसे बड़ा नुकसान थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के रूप में भुगतना पड़ता है, जिसमें दावे की कोई सीमा नहीं होती।



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