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आरोपों ने खिलाड़ी को इस कदर अंदर तक तोड़ा, उठाने जा रही थीं ऐसा खतरनाक कदम


भारतीय भारोत्तोलक संजीता चानू खुद पर लगे अस्थायी निलंबन के हटने से खुश हैं और उन्होंने कहा कि डोपिंग आरोपों से लड़ते हुए वह इतनी निराश हो गई थीं कि उन्होंने खेल को छोड़ने का मन बना लिया था। हालांकि अभी यह लड़ाई खत्म नहीं हुई है। राष्ट्रमंडल खेलों की दो बार की स्वर्ण पदकधारी को अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) ने राहत देते हुए 2017 में हुए परीक्षण में उन पर पिछले साल लगा अस्थायी निलंबन वापस ले लिया। हाालंकि अभी इस मामले पर अंतिम फैसला विश्व संस्था के सुनवाई पैनल द्वारा लिया जाएगा। संजीता ने कहा कि मैं खुश हूं कि अस्थायी निलंबन हट गया है और मुझे पूरा भरोसा है कि आईडब्ल्यूएफ के सुनवाई पैनल द्वारा फैसला मेरे पक्ष में आएगा, लेकिन साथ ही मैं यह सोचकर दुखी हूं कि मैं इसके कारण कितने मानसिक तनाव से गुजरी हूं।उन्होंने कहा कि मैं इतनी दुखी थी कि मैंने खेल छोड़ने का मन बना लिया था। मैंने अपने माता पिता को कहा कि मैं अपनी नौकरी (भारतीय रेल में सीनियर टीटीई) से इस्तीफा दे दूंगी। मैं ठीक से खा और सो नहीं सकी थी। मेरे लिए जीवन बेमतलब सा हो गया था। संजीता ने कहा कि लेकिन किसी तरह मेरे परिवार ने मुझे मना लिया कि बेहतर यही होगा कि इस तरह के कदम उठाने से पहले मैं खुद को निर्दोष साबित करूं। करीब एक साल तक चले मामले में संजीता के नमूने के नंबर को लेकर प्रशासनिक गड़बड़ी की आशंका जताई गई थी। संजीता इस समय नागालैंड के दीमापुर में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में काम करती हैं और उन्होंने कहा कि डोपिंग मामले के कारण उनकी पदोन्नति भी रोक दी गयी थी। उन्होंने कहा कि मैं जानती हूं कि क्या प्रतिबंधित पदार्थ है और क्या नहीं। यह सब राष्ट्रीय शिविरों में नियमित तौर पर बताया जाता है। अचानक ही मुझे बताया गया कि मैं डोप परीक्षण में विफल हो गयी हूं और वो भी नमूने लिये जाने के छह महीने बाद और इसके बाद मैंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। संजीता ने राष्ट्रमंडल खेलों में 2014 (48 किग्रा में) और 2018 (53 किग्रा में) में स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने कहा कि किसी भी एथलीट के लिये डोपिंग के आरोपों से गुजरना काफी कष्टकारक होता है, जिसने कभी भी प्रतिबंधित पदार्थ का इस्तेमाल नहीं किया हो। मैं निर्दोष हूं और अब मेरा पक्ष सही साबित हुआ। डोपिंग आरोपों ने मेरी साख को नुकसान पहुंचाया।

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