गूगल ने मनाया गामा पहलवान का जन्मदिन, जिसने कभी नहीं चखा हार का स्वाद
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नई दिल्ली। गूगल ने रविवार को अपने सर्च इंजन को पहलवान गुलाम मोहम्मद बख्श बट की डूडल कला से सजाया, जिन्हें द ग्रेट गामा के नाम से जाना जाता है। रुस्तम-ए-हिंद की उपाधी से नवाजे गये मोहम्मद बख्श बट गामा का जन्म 22 मई, 1878 को अमृतसर में हुआ था। कुश्ती प्रतियोगिताओं में गामा की सफलता ने उन्हें पूरे भारत में प्रसिद्धि दिलाई। यह भी पढ़ें- असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन से 29 लोगों की दर्दनाक मौतअपने 52 साल लंबे कुश्ती करियर में वह एक भी मुकाबला नहीं हारे। 10 साल की उम्र से ही गामा ने अपने नियमति व्यायाम में 500 पुश-अप शामिल कर लिये थे। सन् 1988 में गामा ने जोधपुर की एक व्यायाम प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमें देशभर से 400 पहलवान आये थे। अंतिम 15 में जगह बनाने के बाद गामा को जोधपुर के महाराज ने विजेता घोषित कर दिया। वहां से दतिया के महाराज ने उन्हें कुश्ती सिखाने की जिम्मिेदारी ले ली। उन्होंने 15 साल की उम्र में कुश्ती शुरू की और 1910 तक गामा ने तभी बड़े पहलवानों को हरा दिया था। वह राष्ट्रीय हीरो और विश्व चैम्पियन के रूप में अखबारों में छपने लगे थे। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई खिताब अर्जित किए, विशेष रूप से 1910 में विश्व हैवीवेट चैम्पियनशिप का भारतीय संस्करण और 1927 में विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप, जहां उन्हें टूर्नामेंट के बाद टाइगर की उपाधि से सम्मानित किया गया। प्रिंस ऑफ वेल्स ने अपनी भारत यात्रा के दौरान गामा को सम्मानित करने के लिए उन्हें एक चांदी की गदा भी भेंट की थी। यह भी पढ़ें- अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश में पूर्वोत्तर को विवादों, हथियारों और उग्रवाद से मुक्त बनाने की कही बात1947 में बंटवारे के दौरान गामा को कई हिन्दुओं की जिन्दिगी बचाने के लिये भी सराहा जाता है। बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान चले गये और 1960 में देहांत से पहले तक लाहौर में ही रहे।
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