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भारत की रफ्तार देख बौखलाया चीन, बॉर्डर पर अपनी आर्मी को मजबूत करने के लिए लिया ऐसा बड़ा फैसला


चीन ने डब्ल्यूटीसी ट्रांसपोर्ट रेजिमेंट (WTC Transport Regiment) में अब मोबिलाइजेशन सर्विस स्टेशन (Mobilization Service Station) शामिल किया है। पीएलए (PLA) एलएसी पर अपनी तैनाती और अपने सैनिकों को हथियारों की सप्लाई के लिए मोबाइल ट्रांजिट कैंप (mobile transit camp) की सुविधा तैयार कर रही है। अब मोबाईल ट्रांजिट कैंप या कहें मोबिलाइजेशन सर्विस स्टेशन के चलते पीएलए लंबी दूरी तय कर रही है। दरअसल तिब्बत के पठार में एलएसी (LaC) तक हजारों किलोमीटर की दूरी तय करने वाली सेना के काफिले और उनके ड्राइवर को अब रास्ते में कहीं भी लॉजेस्टिक सपोर्ट मिल सकेगा। इससे पहले अलग-अलग जगह बिखरे हुए सर्विस स्टेशन और चीन स्थायी ट्रांजिट कैंप में कॉनवाय को रेस्ट के लिये रोका जाता था जो कि काफी दूर-दूर पर बने होते थे और उन लोकेशन तक लगातार चलते जाना काफी थका देने वाला होता था। लेकिन इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है चीन का डर। दरसल चीन को इस बात का डर सता रहा था कि भारत जितनी तेजी से अपने इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है और हाई ऑल्टिट्यूड में जितने साजो समान भारत पहुंचा रहा है, उसे चीन (india china border issue) के लिए मैच करना मुश्किल होता जा रहा है।दरसल भारत ने अपनी विंटर स्टॉक को अगस्त में ही पूरा कर लिया था। इसके अलवा पिछले एक साल में अपने पुराने सभी बंकर और सैनिकों के रहने के लिए नए हीटेड टेंट के काम को पूरा कर लिया था। रसद की स्टॉकिंग 14-15 महीने की कर ली गईहै। इसके अलावा हर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर छोटे-छोटे मेडिकल फील्ड हॉस्पिटल भी बना लिए गए हैं। जानकारी के मुताबिक चीन के मुकाबले भारत के सैनिकों को पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के सर्द मौसम में इतना नुकसान नहीं हुआ जितना चीन को उठाना पड़ा है। बस चीन को यही चीजें सता रही हैं कि अगर कोई हादसा या तकनीकि खराबी के चलते अगर मूवमेंट बाधित हुआ तो चीन के सैनिक इन सुविधाओं के बिना इन इलाकों में ज्यादा नहीं रह पाएंगे।

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