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आज का दिन पृथ्वी के लिए सबसे खतरनाक, दो बोइंग 747 से भी बड़े ऐस्टरॉइड ने उड़ाई नींद


दो बोइंग 747 से भी बड़ा एक ऐस्टरॉइड 1 फरवरी को धरती के करीब से गुजरेगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसे खतरनाक की श्रेणी में रखा है। हालांकि, यह धरती से करीब से गुजर जाएगा और टक्कर की आशंका नहीं है। 2020 टीबी12 नाम का ऐस्टरॉइड 145 मीटर लंबा है। यह हमारे सौर मंडल से 8.9 किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से गुजरेगा।यह सोमवार को धरती से 6.8 लूनर डिस्टेंस यानी 26 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा दूर से गुजरेगा। नासा की नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (निओ) श्रेणी के मुताबिक यह दूरी काफी कम है। नासा की जेट प्रोपल्शन लैब के मुताबिक, निओ ऐसे धूमकेतु और ऐस्टरॉइड होते हैं जो पास के ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के कारण उनकी कक्षा में चले जाते हैं। ये अहम इसलिए होते हैं क्योंकि माना जाता है कि 4.6 अरब साल पहले सौर मंडल के बनने के साथ पैदा हुए ये ऑब्जेक्ट अब तक बदले नहीं हैं।इस लिस्ट में सबसे पहला और सबसे बड़ा ऐस्टरॉइड 29075 (1950डीए) जो 2880 तक नहीं आने वाला है। इसका आकार अमेरिका की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग का भी तीन गुना ज्यादा है और एक समय में माना जाता था कि पृथ्वी से टकराने की इसकी संभावना सबसे ज्यादा है। ऐस्टरॉइड एपोफिस का डायमीटर 1214 फीट है और इसके 2060-2105 के बीच पृथ्वी को नुकसान पहुंचा सकता है। संभावना जताई जा रही है कि यह धरती के 19,000 मील दूर से निकलेगा। ऐस्टरॉइड बेन्नू का डायमीटर 1608 फीट है। हालांकि, इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना कम है लेकिन अगर ऐसा हुआ भी तो यह साल 2175 से 2199 के बीच होगा।2020-2025 के बीच 2018 वीपी1 नाम ऐस्टरॉइड के पृथ्वी से टकराने की संभावना है लेकिन यह सिर्फ 7 फीट चौड़ा है। इससे बड़ा 177 फीट का ऐस्टरॉइड 2005 ईडी224 साल 2023-2064 के बीच पृथ्वी से टकरा सकता है। इस कारण उनकी स्टडी से ब्रह्मांड से जुड़े कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं। 2020 टीबी12 के धरती से टकराने की आशंका नहीं है। हालांकि, गुरुत्वाकर्षण के कारण इसके रास्ते में बदलाव हो सकता है। इसके अलावा सूरज की गर्मी से पिघलने और फिर ठंडा होने पर रेडिएशन के उत्सर्जन से भी इनका रास्ता बदल सकता है। इसे यार्कोस्काई इफेक्ट कहते हैं। रेडिएशन की वजह से ऐस्टरॉइड पर फोर्स थ्रस्टर की तरह काम करती है। इसके बावजूद इस ऐस्टरॉइड से खतरा नहीं है। इसे पोटेंशियल हेजड्र्स ऐस्टरॉइड्स की श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि कभी आगे भविष्य में यह धरती के ज्यादा करीब आ भी सकता है।

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