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भारत और रूस के बीच कभी हो सकती है भिड़ंत, दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां लगी निगरानी पर


स्पेस में भारत का रिमोट सेंसिंग सैटलाइट कार्टोसैट-2एफ बेहद खतरनाक तरीके से रूस के एक सैटलाइट के काफी करीब पहुंच गया है। दोनों ही उपग्रहों में भिड़ंत न हो, इसके लिए दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां अपने-अपने सैटलाइट की निगरानी कर रही हैं। रूस ने कहा है कि दोनों ही सैटलाइट के बीच दूरी केवल 224 मीटर है। हालांकि इसरो ने इस दूरी को 420 मीटर बताया है।रूस की स्पेस एजेंसी रास्कोमोस ने अपने सहयोगी संस्थान से मिले इनपुट के आधार पर बताया कि 700 किग्रा वजनी कार्टोसैट 2एफ सैटलाइट 27 नवंबर 2020 को 01.49 यूटीसी पर खतरनाक तरीके से रूस के कानोपस-वी स्पेस्क्राफ्ट के करीब आ गया। रोस्कोस्मोस ने बताया, ताजा गणना के अनुसार रूस और विदेशी सैटलाइट के बीच की न्यूनतम दूरी 224 मीटर थी।दोनों स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की रिमोट सेंसिंग के लिए डिजाइन किए गए हैं। हालांकि इसरो के चेयरमैन के सिवन का कहना है कि हम चार दिनों से सैटलाइट पर नजर रख रहे थे और यह रूसी सैटलाइट से करीब 420 मीटर की दूरी पर था। ऐसे समय में कोई ऐक्शन तभी किया जाता है जब यह करीब 150 मीटर की दूरी पर आ जाए। सिवन के अनुसार जब उपग्रह पृथ्वी की समान कक्षाओं में होते हैं, तो ये चीजें असामान्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में परंपरा यह है कि दो एजेंसियांं आपस में संवाद करती हैं और आगे का फैसला करती हैं।सिवान का कहना है कि हाल ही में ऐसी ही स्थिति स्पेन के सैटलाइट के साथ हुई थी और इसका समाधान किया गया। इन चीजों को आमतौर पर सार्वजनिक नहीं किया जाता है। कार्टोसैट-2एफ को 12 जनवरी 2018 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था और यह अब भी ऑपरेशनल है।

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