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सुशांत राजपूत की रहस्यमयी मौत मामले के बाद नारकोटिक्स ब्यूरो ने किया बड़ा खुलासा


दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत के बाद अब इसमें ड्रग एंगल भी जुड़ चुका है। इस पर काम कर रहे नाकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ताजा रिपोर्ट जारी कर चेतावनी दी है कि बड़े पैमाने पर केमिकल्स का डायवर्जन करके कोकीन का निर्माण किया जा रहा है। जैसे कोकीन बनाने के लिए पानी के उपचार और फलों के संरक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले पोटेशियम परमैगनेट का डायवर्जन कर उसका दुरुपयोग करना। यह मुद्दा इसलिए फिर से उठ गया है, क्योंकि सुशांत राजपूत की मौत की जांच के दौरान उनकी प्रेमिका रिया चक्रवर्ती ने आरोप लगाया है कि अभिनेता कुछ समय के लिए मारिजुआना पर थे।इसके अलावा, चक्रवर्ती और सहयोगियों के बीच की व्हाट्सएप चैट, जिनमें वे इन मनोरंजक दवाओं की तलाश करते हैं, इसने भी बॉलीवुड में इस दवा के व्यापक इस्तेमाल पर ध्यान खींचा है। ऐसी थ्योरी भी है कि मध्य पूर्व के एक ड्रग तस्कर का राजपूत की मौत से कुछ कनेक्शन था। एनसीबी ने अपनी ताजी रिपोर्ट भारत में दवा की स्थिति और इसमें योगदान देने वाले कारक को ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा किया है और इन केमिकल्स के दुरुपयोग के बारे में बताते हुए आपसी सहयोग को बढ़ाने की जरूरत की बता कही है। वहीं अग्रदूतों के दोहरे उपयोग पर एनसीबी ने लिखा है कि कैसे वैध उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायनों को नशीली दवाओं के निर्माण के लिए विकृत किया जा सकता है और उनका दुरुपयोग किया जा सकता है।उदाहरण के लिए, एसिटिक एनहाइड्राइड का उपयोग कानूनी रूप से रासायनिक और दवा उद्योग में टेक्सटाइल साइजिंग एजेंट, पेरासिटामोल (एस्पिरिन) के निर्माण, और डाई के उत्पादन में किया जाता है, लेकिन इसे डायवर्ट कर इसका हेरोइन बनाने में अवैध तरह से उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह पोटेशियम परमैगनेट का उपयोग पानी के ट्रीटमेंट, फलों के संरक्षण और चिकित्सा उपयोग के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इसका कोकीन बनाने के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। ऐसे और भी कई रसायन हैं जिनका गलत और अवैध इस्तेमाल किया जा सकता है। एनसीबी ने यह मुद्दा भी उठाया है कि इन रसायनों की उत्पादन के पहले और प्रोडक्शन के बाद बरामद की गईं मात्राएं मेल नहीं खाती हैं। इससे साफ है कि भारत में एक मजबूत फार्मा उद्योग है जो अग्रदूतों के डायवर्जन की संभावनाएं बनाता है।ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग बढ़ाने को लेकर एनसीबी ने सूचनाओं, फोकल पॉइंट्स/नोडल अधिकारियों और टेली सब्सक्राइबर्स/आईपी समेत कई तरह के उपयोगी इनपुट को साझा करने पर प्रकाश डाला है।इसमें मनी लॉन्ड्रिंग पहलुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने, डाक तंत्र, वितरण तंत्र के नियंत्रण पर भी ध्यान देने के लिए कहा है। बता दें कि भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी के प्रमुख रास्ते हमारे कुछ पड़ोसी देश ही हैं। जमीन पर बात करें तो यह पूरी सीमा पर जैसे पाकिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल से लगती सीमाओं में फैला हुआ है। वहीं तस्करी के लिए समुद्री रास्तों में अरब सागर (हेरोइन, मेथ, कोकेन) और बंगाल की खाड़ी (हेरोइन, मेथ) का उपयोग होता है। इसके अलावा मादक पदार्थों की तस्करी के लिए डाक मार्ग और डार्क नेट का रास्ता भी है।

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