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दिल्ली के बाद अब यूपी के लिए काल बनी तबलीगी जमात, 18 जिलों में बढ़ी कोरोना टेंशन


दिल्ली के बाद अब यूपी और बिहार के लिए तबलीगी जमात काल बन चुकी है। दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलागी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल लोगों की कोरोना से मौत के बाद हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच यूपी के डीजीपी ने 18 जिलों के पुलिस अधिकारियों को इस कार्यक्रम में पहुंचे लोगों की तलाश करने का आदेश दिया है। बता दें कि निजामुद्दीन में हुए इस धार्मिक आयोजन में शामिल 10 लोगों की कोरोना से मौत हुई है, जबकि करीब 200 लोग दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती हैं। यूपी के डीजीपी कार्यालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है, तबलीगी जमात के विदेशी प्रचारकों के हजरत निजामुद्दीन में हुए कार्यक्रम में यूपी के जिलों से लोग शामिल हुए थे। सूची में शामिल 18 जिलों के उन व्यक्तियों के कोरोना वायरस से प्रभावित होने के संबंध में उनका प्राथमिकता के साथ कोविड-19 टेस्ट और संक्रमित व्यक्तियों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज मुहैया कराया जाए। तबलीगी जमात के कार्यक्रम में यूपी के गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, हापुड़, बिजनौर, बागपत, वाराणसी, भदोही, मथुरा, आगरा, सीतापुर, बाराबंकी, प्रयागराज, बहराइच, गोंडा और बलरामपुर जिलों से लोगों के शामिल होने की बात सामने आ रही है। यूपी डीजीपी की तरफ से आयोजन में शामिल यूपी के लोगों की तलाश और निगरानी का आदेश दिया गया है। देश की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में मरकज तबलीगी जमात मुख्यालय में 18 मार्च को एक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। बताया जा रहा है कि इसमें तकरीबन 2000 लोगों ने हिस्सा लिया था, जिसमें विदेशी लोग भी थे। अब पता चला है कि इनमें से करीब 300 लोगों को कोरोना हो सकता है, जिन्हें दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में एहतियातन भर्ती किया गया है। सरकार ने इस इलाके में रहने वाले लोगों को भी दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में जांच के लिए भर्ती कराया है। सोमवार को दिल्ली में सबसे ज्यादा 25 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए, जिनमें से 19 का संबंध इसी कार्यक्रम से था। क्या है मरकज तबलीगी जमात तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला। वहीं जमात का मतलब होता है समूह। यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। मरकज का मतलब होता है मीटिंग के लिए जगह। दरअसल, तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं। एक दावे के मुताबिक इस जमात के दुनिया भर में 15 करोड़ सदस्य हैं। बताया जाता है कि इस आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में शुरू किया था। इसकी शुरुआत हरियाणा के नूंह जिले के गांव से हुई थी। इस जमात के मुख्य उद्देश्य छह उसूल (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं। एशिया में इनकी अच्छी खासी आबादी है। निजामुद्दीन में इस जमात का मुख्यालय है। 1927 में शुरू हुए इस संगठन को अपनी पहली बड़ी मीटिंग करने में करीब 14 साल का समय लगा। तब अविभाजित भारत में इस संगठन का कामकाज पूरी तरह से पूरे देश में जम चुका था। 1941 में 25,000 लोगों के साथ जमात की पहली मीटिंग आयोजित हुई। धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया और दुनिया के अलग-अलग देशों में हर साल इसका सालाना कार्यक्रम होता है। इस जमात का सबसे बड़ा जलसा हर साल बांग्लादेश में आयोजित होता है। इसके अलावा भारत और पाकिस्तान में भी इस जमात का एक सालाना जलसा आयोजित होता है। इन जलसों में दुनिया भर से बड़ी संख्या में मुसलमान शिरकत करते हैं।

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