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Meghalaya के लोगों ने किया ये अनोखा प्रयोग, बना दिया पेड़ों का पुल


मेघालय में पेड़ाें का पुल जी हां मेघालय में एक एेसा गांव है जहां पेड़ों का पुल है। मेघालय के मायलोमोंग गांव में है ये पेड़ों का बना पुल पर्यटकाें के आकर्षण का केंद्र है। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस गांव में पुल को बनाने में भी प्रकृति ने ही मदद की है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में इस गांव का जिक्र किया था।कैसे बना ये पुल पूर्वोत्तर भारत के राज्य मेघालय में खूब बारिश होती है अौर मानसून के समय तो हालत एेसी हो जाती है कि गांव के कर्इ इलाकों को पार करना मुश्किल हो जाता है। गांव के लोगों को अपने खेतों तक पहुंचने के लिए इन इलाकों को पार करना पड़ता है। इन्हें आसानी से पार किया जा सके इसलिए गांव वालों ने पेड़ों का अनोखा प्रयोग किया। उन्होंने बरगद के पेड़ की जड़ों को आपस में बांधकर एेसा पेड़ों का पुल बना दिया । पुल की शुरूआत इस पुल को बनाने में लंबा समय लगा। इसको बनाने की शुरूआत स्थानीय चर्च ने की थी। चर्च ने ये कोशिश की थी कि मानसून के समय में लोगों को अपने खेतों तक जाने में ज्यादा परेशानी न उठानी पड़े आैर लोग आसानी से पहुंच सके। चर्च की इस पहल को देखते हुए मेघालय की ग्रामीण विकास संस्था भी जुड़ गर्इ। ये पहल तो अपनी सुविधा के लिए कि गर्इ लेकिन अाज ये टूरिस्टों के आकर्षण का केंद्र है। मूल रूप में लगे 12-15 साल नदियों के ऊपर बने इन पुलों को अपना मूल स्वरूप लेने में 12 से 15 साल लग जाते हैं। मेघालय के दक्षिणी ढलान पर अधिकांशत: बने इन फुट-ब्रिजों को दरअसल जड़-पुल कहना चाहिए। हरे पेड़ों की जीवंत जड़ों से बने कई पुल तो 50 मीटर तक लंबे व लहरदार हैं।बच्चे आैर बुजुर्ग मिलकर करते हैं मेहनतगांव का मुख्य आकर्षण तो ये पुल है लेकिन इस गांव की एक आैर विशेषता है। मेघालय का एक छोटा सा गांव अपने आप में ही एक मिसाल है। ये गांव साफ सफार्इ के मामले में भी आगे है आैर गांव को साफ रखने में गांव के बच्चे आैर बुजुर्ग मिलकर मेहनत करते हैं। एशिया का सबसे साफ गांव है मेघालय का मायलोमोंग।आपको बता दें कि 1986 में गांव वालों ने एक मीटिंग करके तय किया था कि हर घर में एक टॉयलेट बनाया जाएगा। साथ ही ये भी तय किया गया था कि कोर्इ भी गांव में इधर-उधर कूड़ा आैर प्लास्टिक नहीं फेकेगा। गांव वालों ने तय किया था कि हमारा गांव छोटा है लेकिन हमें खुद पर गर्व है कि हम दूसरों के लिए मिसाल बन सकते हैं। हालांकि अब टूरिस्टों की बढ़ती संख्या से गांव में गंदगी फैल रही है।

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