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कर्मचारियों को लगने वाला है तगड़ा झटका, मोदी सरकार उड़ाएगी सभी के होश


वर्तमान में एक श्रमिक के मूल वेतन का 24 फीसदी ईपीएफ में जमा होता है। इसमें 12 फीसदी हिस्सा कर्मचारी और इतना ही हिस्सा नियोक्ता का होता है। वेतनभोगियों के लिए ईपीएफ को सबसे बड़ा बचत का माध्यम माना जाता है। सरकार का मानना है कि कर्मचारी की जेब में ज्यादा पैसा जाए इसके लिए सरकार काम कर रही है इसी के तहत ईपीएफ में कर्मचारी की हिस्सेदारी को कम किया जा रहा है।सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य निधि (ईपीएफ) के लिए कर्मचारियों द्वारा दिए गए योगदान को कम किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को प्रस्तावित कर्मचारी भविष्य निधि और विविध विधेयक, 2019 में शामिल किया है। इसकी वजह से कर्मचारी की जेब में ज्यादा पैसा होगा और खर्च के लिए ज्यादा पैसा मिल सकेगा। इसके तहत नियोक्ता के योगदान में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा। ताकि कर्मचारियों को किसी तरह का कोई आर्थिक नुकसान नहीं हो। आर्थिक मामलों के जानकारों के अनुसार यह सही है कि इसकी वजह से कर्मचारियों के पास ज्यादा पैसा होगा और खर्च करने की क्षमता भी बढ़ जाएगी लेकिन ईपीएफ बचत का बेहतर तरीका है और इसके जरिए कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद की तैयारी करता है। इस पर ब्याज भी दूसरी योजनाओं की तुलना में ज्यादा है। इसकी वजह से कर्मचारियों को भविष्य के नजरिए से नुकसान ज्यादा होने वाला है। सरकार को इस प्रस्ताव पर चर्चा करनी चाहिए।

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