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रावण के वध के बाद यहां धोए थे श्रीराम ने अपने पाप, की थी आखिरी तपस्या, देखें वीडियो


क्या आपको पता है कि भगवान राम ने रावण वध के बाद लंका से लौटते वक्त अपनी आखिरी तपस्या कहां की थी? अगर नहीं पता तो हम आपको यह जानकारी दे रहे हैं और साथ ही उस जगह की सैर पर भी ले जा रहे हैं। मान्यता है कि भगवान राम ने ब्राह्मण वध (रावण वध) के पाप से मुक्त होने के लिए देवप्रयाग में तपस्या की थी। उन्होंने यहां एक शिला पर बैठकर तपस्या की थी। यहां वो शिला आज भी मौजूद है। यह खूबसूरत जगह उत्तराखंड में है जो कि प्रसिद्ध तीर्थस्थल के तौर पर जाना जाता है। देवप्रयाग अलकनंदा-भागीरथी नदी के संगम पर बसा है। कहा जाता है कि देवभूमि उत्तराखंड के पंच प्रयागों में से एक देवप्रयाग है। मान्यता है कि जब राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतरने के लिए मनाया तो उनके साथ ही 33 करोड़ देवी- देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से देवप्रयाग में उतरे थे। ये ही वो जगह है जहां भागीरथी और अलकनंदा नदी का संगम होता है। देवप्रयाग समुद्र तल से 830 मीटर की ऊंचाई पर है। ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी महज 70 किलोमीटर के करीब है। यह भी कहा जाता है कि देवप्रयाग में ही मुनि देवशर्मा ने भगवान विष्णु की कठिन तपस्या की थी और भगवान ने उन्हें वरदान दिया था कि इस स्थान का नाम कालांतर में उनके नाम पर ही रखा जाएगा। यह बेहद मनोरम स्थल है जहां की खूबसूरती और शांत वातावरण श्रद्धालु और पर्यटकों के दिल में सुकूं देता है।

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