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AIDS से रोकथाम का एकमात्र तरीका है यह विधेयक


इन दिनों विवादित बयानों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के बाद अब मेघालय में खासी हिल्स स्वायत्ता जिला परिषद के अध्यक्ष एचएस शैला ने खासी वंश के विधेयक के बारे में बात करते हुए एक विवादित बयान डे डाला। हालांकि बाद मे शैला ने बयान काे वापस भी लिया। तो वहीं शैला के इस बयान से उनकी पार्टी ने भी किनारा कर लिया। दरअसल, मंगलवार को शैला ने खासी वंश विधेयक के बारे में बात करते हुए कहा था कि राज्य की महिलाआें को एड्स की बीमारी से बचाने के लिए भी इस विधेयक की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि एड्स के वाहक राज्य के बाहर सेे आने वाले ट्रक चालक हैं। ये प्रवासी लोग यहां की महिलाआें से संबंध बनाते हैं आैर एड्स जैसी जानलेवा बीमारी फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि खासी हिल्स स्वयत्ता जिला परिषद द्वारा पारित खासी वंश विधेयक यहां के जनजातिय लोगों के बीच एचआर्इवी-एड्स फैलाने से रोकने का एक तरीका है। एचएस शैला के इस बयान पर उसकी पार्टी (एनपीपी) के प्रदेश अध्यक्ष डब्ल्यू आर खारलुखी ने मंगलवार को कहा कि यह बयान शैला की निजी राय है आैर यह पार्टी का विचार नहीं है। हालांकि शैला ने अपने बयान पर सफार्इ देते हुए कहा कि एड्स के रोगियों के साथ वे नफरत या भेदभाव करने का इरादा नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही उनकी पार्टी एनपीपी ने बयान से खुद को दूर कर लिया हो लेकिन इस मसले पर उन्होंने तहे दिल से बात की है। ताकि हम पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त कर सकें।

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