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आपकी एक छोटी सी गलती के कारण जल्दी हो सकती है मौत, जरूर हो जाएं सतर्क


एक नई रिपोर्ट के मुताबिक रात में अनिद्रा से परेशान या कम सोने वाले लोगों में डेमेंशिया नाम की बीमारी बढ़ने का खतरा होता है। इतना ही नहीं पर्याप्त नींद न लेने की वजह से कई ऐसे कारण भी उभर सकते हैं, जिनसे इंसान की मौत जल्दी हो सकती है।हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन इंस्ट्रक्टर रेबेका रॉबिन्सन के मुताबिक, इस स्टडी में सामने आए साक्ष्य ये बताते हैं कि हर एक रात की नींद हमारे जीवन के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। ये न सिर्फ हमारे न्यूरोलॉजिकल सिस्टम के लिए फायदेमंद है, बल्कि ये मौत के जोखिम को भी कम करने में कारगर है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका समेत दुनियाभर के लोगों में नींद, डेमेंशिया और किसी कारण से जल्दी मौत होने के बीच संबंध एक बड़ी चिंता का विषय है। वर्ल्ड स्लीप सोसायटी के अनुसार, कम नींद आना दुनिया की 45 फीसद आबादी के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। सामान्य तौर पर देखा जाए तो हमें रोजाना रात कम से कम 7 से 10 घंटे की पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। वहीं यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन का कहना है कि अमेरिका में हर तीसरा शख्स नींद के इस पैटर्न को फॉलो नहीं कर पाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में तकरीबन 5 से 7 करोड़ लोग स्लीप डिसॉर्डर, स्लीप एपनिया, इंसोमेनिया और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। CDC इसे पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम कहती है, क्योंकि नींद से जुड़ी इस परेशानी का संबंध डायबिटीज, स्ट्रोक, कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज और डेमेंशिया से भी है। जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च में प्रकाशित इस स्टडी का विश्लेषण नेशनल हेल्थ एंड एजिंग ट्रेंड स्टडी (NHATS) ने किया है। इस स्टडी के परिणामों तक पहुंचने के लिए 2011 से 2018 के बीच जुटाए डेटा की भी जांच की। इससे पता लगा कि अनिद्रा से जूझ रहे लोगों को ज्यादातर रात में यहां तक कि हर रात ऐसी परेशानियां होती हैं। स्टडी में नींद से जुड़ी परेशानियां दर्ज कराने वाले प्रतिभागियों की रिपोर्ट को हर प्रतिभागी के मेडिकल रिकॉर्ड से जोड़कर देखा गया है। स्टडी में पाया गया कि नींद से जुड़ी समस्या का लगभग हर रात सामना कर रहे 44 प्रतिशत लोगों में कई कारणों से मौत का जोखिम बढ़ जाता है, जबकि रात में अक्सर इस समस्या से जूझने वाले 56 प्रतिशत लोगों के जल्दी मरने का खतरा होता है। इसी तरह रात में लगातार नींद से जूझने वाले 49 प्रतिशत लोगों में डेमेंशिया का खतरा हो सकता है, जबकि रात में अक्सर नींद से जूझने के बाद मुश्किल से सोने वालों में इस बीमारी के बढ़ने का खतरा 39 प्रतिशत तक होता है।

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