क्या कोरोना की वैक्सीन लगवाने के बाद मां नहीं बन पाएंगी महिलाएं, विशेषज्ञों ने कही ऐसी बड़ी बात
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इन दिनों पूरे विश्व में सरकारें जहां कोरोना को मात देने के लिए लोगों के टीकाकरण अभियान में जुटी हैं ऐसे में कुछ शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गुरुवार को युवा महिलाओं की चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि कोरोना वायरस का टीका बांझपन या गर्भावस्था की अंतिम अवस्था में गभर्पात का कारण नहीं बनता है। डॉक्टर एसोसिएशन कश्मीर (डाक) के अध्यक्ष निसार उल हसन ने कोविड वैक्सीन को मानवता के लिए विज्ञान का ‘सबसे बड़ा’ उपहार करार देते हुए कहा कि कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा के बारे में गलत सूचना ने लोगों में भ्रम पैदा किया है। उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ बड़े मीडिया घरानों द्वारा भी वैक्सीन के बारे में गलत सूचना प्रकाशित की गई है। हमें यह समझने की जरूरत है कि वैक्सीन ही एकमात्र उपकरण है जो कोरोना से लड़ने में मदद कर सकता है। टीके की सुरक्षा और सटीकता बिना किसी संदेह के साक्ष्य और चिकित्सकीय परीक्षणों से साबित हुई है। इन टीकों की प्रभावकारिता 70 से 90 प्रतिशत है, जो कि डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार आवश्यक है। शीर्ष पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ परवेज कौल ने कहा कि एमआरएनए टीकों के कारण बांझपन और गर्भपात की आशंका गलत है। उन्होंने कहा, बहुत सी युवा महिलाएं कोविड टीकाकरण के परिणामस्वरूप बांझपन की चिंताओं के बारे में चिंतित हैं। डॉ कौल ने कहा कि संक्रमित गर्भवती महिलाओं ने सामान्य बच्चों को जन्म दिया है और यह तथ्य गलत है कि टीके से बांझपन या गर्भपात का खतरा है। उन्होंने कहा, जो लोग इससे डरते हैं वे इस बात से राहत महसूस कर सकते हैं कि वायरस प्रोटीन और हीमोग्लोबिन और कोलेजन जैसे सामान्य मानव प्रोटीन (प्लेसेंटल प्रोटीन के लिए उससे भी अधिक) के बीच आनुवंशिक समरूपता है। इसलिए एमआरएनए टीकों के कारण बांझपन और गर्भपात की आशंका गलत है।
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