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आखिरकार भारत में कोरोना महामारी क्यों नहीं मचा पाई तांडव, इस रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा


भारतीय शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि जिन देशों में स्वच्छता की स्थिति खराब है और पानी आपूर्ति की गुणवत्ता ज्यादा बेहतर नहीं है वहां समृद्ध देशों के मुकाबले कोविड-19 मृत्यु दर कम दिखाई दे रही है।हालांकि इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि इसका मतलब यह जरा भी नहीं है कि स्वच्छता की खराब स्थिति वांछनीय है। सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत जैसे कम आय वाले देश पिछले 10 महीने से दुनिया भर में कोहराम मचा रही कोविड-19 बीमारी से बेहतर तरीके से निपट रहे हैं। मेड्रिक्सिव मे पब्लिश हुई सीएसआईआर की रिपोर्ट का कहना है कि, कम और मध्यम आय वाले दशों पर हाई पैरासाइट और बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारियों का ज्यादा बोझ होता है। इसलिए लोगों के बीच फैलने वाले रोगों का अनुभव उनकी इम्यून ट्रेनिंग का एक पार्ट बन जाता है। इस प्रैक्टिस को इम्यून हाइपोथिसिस कहा जाता है।CSIR के महानिदेशक डॉ. शेखर मांडे के मुताबिक, जनसाख्यिकी, स्वच्छता में सुधार और ऑटो-इम्यून बीमारियां कोविड-19 से होने वाली मौतों से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि पुणे के नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस और चेन्नई के मैथमेटिकल इंस्टीट्यूट ने 25 से 30 मानकों पर 106 देशो में प्रति 10 लाख लोगों पर हुई मौतों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया था। इन मानकों में पानी व स्वच्छता का पैमाना देखा गया था। इस रिसर्च के दौरान पता चला कि जिन देशों मे पानी की स्वच्छता खराब है वहां पर प्रति लाख लोगों पर कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी कम है।इस स्टडी में यह भी कहा गया है कि कोरोना की गंभीरता और डायबीटिज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल से संबंधित बीमारियों जैसे कई गैर-संचारी विकारों के बीच एक घनिष्ठ संबंध है। इन विकारों के साथ एक बड़ी आबादी उच्च मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) देशों में रहती है। स्टडी में यह भी पाया गया है कि 65 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को अधिक जोखिम है, ऐसे लोगों का प्रतिशत उच्च HDI देशों में काफी ज्यादा है।

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