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रुस के साथ मिलकर भारत ने किया ऐसी खतरनाक मिसाइल का परीक्षण, चीन के उड़ेंगे होश


सतह से सतह पर मार करने वाले सुपरसोनिक क्रूज मीडियम रेंज मिसाइल ब्रह्मोस के विस्तारित संस्करण का बुधवार को यहां ओडिशा तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में सफल परीक्षण किया गया। भारत और रूस ने इसे संयुक्त रूप से विकसित किया है। अग्नि के सिद्धांत पर काम करने वाली और 450 किमी की रेंज वाली यह मिसाइल, 200 किलो तक के पारंपरिक वारहेड ले जाने की क्षमता रखती है। यह मिसाइल आईटीआर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स -3 से दागी गई। नौ मीटर लंबी और 670 मिमी व्यास वाली मिसाइल का कुल वजन लगभग तीन टन है। यह एक जहाज से दागे जाने पर ध्वनि की गति से दोगुनी गति से 14 किमी की ऊँचाई तक जा सकती है। यह एक ठोस प्रणोदक द्वारा चार्ज की जाती है और 20 किमी की दूरी पर अपना मार्ग बदल सकती है।ब्रह्मोस दो नदियों, भारत के ब्रह्मपुत्र और रूस के मोस्कवा के नाम पर रखा गया है। उपयोगकर्ता-परिनियोजन कॉन्फ़गिरेशन में किए गए परीक्षण ने सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया। सूत्रों ने कहा कि मिसाइल ने निर्धारित भूमि लक्ष्य पर सटीकता के साथ बहुत कम ऊंचाई पर पूर्व निर्धारित प्रक्षेपवक्र का अनुसरण किया। मिसाइल परीक्षण को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और एकीकृत परीक्षण रेंज के अधिकारियों ने देखा तथा इसके सफल परीक्षण पर एक-दूसरे को बधाई भी दी। ब्रह्मोस वर्तमान में दुनिया की उन कुछ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है जिसे पहले ही भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोतों के लिए उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम के साथ स्वीकार कर लिया है।

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