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कोरोना संकट के बीच देश में दवाईयों को लेकर मचेगा हाहाकार, जानिए क्यों


सिक्किम में दवा बनाने वाली कई यूनिटों ने अपना कामकाज बंद कर दिया है और कई दूसरी यूनिट मिनिमम स्टाफ के साथ काम कर रही हैं। इसकी वजह है उनकी यूनिटों में काम करने वाले कई लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। इससे कोरोना काल में देश में दवाओं को आपूर्ति को लेकर चिंता बढ़ गई है। फार्मा विशेषज्ञों का कहना है कि देश की करीब 60 फीसदी गोलियां और कैप्सूल सिक्किम से आती हैं।एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि जायडस वेलनेस, मैनकाइंड फार्मा, सन फार्मास्यूटिकल्स, एलेंबिक फार्मास्यूटिकल्स और गोल्डन क्रॉस फार्मा ने अपना कामकाज बंद कर दिया है क्योंकि उनकी यूनिट कंटेनमेंट जोन में है। मैकलॉयड्स फार्मास्यूटिकल्स, टॉरेंट फार्मास्यूटिकल्स, इंटास फार्मास्यूटिकल्स, ल्यूपिन और सन फार्मा के एक यूनिट कम क्षमता के साथ काम कर रही हैं। अधिकारी ने कहा कि गंगटोक में सन फार्मा की एक यूनिट को बंद कर दिया गया है क्योंकि यह कंटेनमेंट जोन में थी जबकि दूसरी यूनिट में आंशिक कामकाज चल रहा है।मैनकाइंड फार्मा के सीएमडी रमेश जुनेजा ने कहा, सिक्किम में फार्मा इंडस्ट्री पिछले एक हफ्ते से कोविड-19 संकट का सामना कर रही है। करीब 30-40 बड़ी कंपनियों ने अपना कामकाज बंद कर दिया है या कम क्षमता के साथ काम कर रही हैं। मैनकाइंड फार्मा की सिक्किम में स्थित यूनिट में विटामिन और हाइपरटेंशन के लिए दवाएं बनाई जाती हैं। कंपनी ने अब हिमाचल के पोंटा साहिब प्लांट में इन दवाओं को बनाना शुरू कर दिया है ताकि उनकी आपूर्ति पर कोई असर न पड़े। सन फार्मा की एक यूनिट 30 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रही है। इसी प्रकार मैकलॉयड फार्मा 45 फीसदी और टॉरेंट फार्मा 30 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रही हैं। सिक्किम सरकार ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 21 जुलाई से 1 अगस्त तक राज्यव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की है। सभी सरकारी कार्यालय, दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, संस्थान, बाजार और फैक्ट्रियां बंद हैं। सिक्किम में अब भी लॉकडाउन है लेकिन सरकार ने कंटेनमेंट जोन के बाहर स्थित फार्मा यूनिट्स को शर्तों के साथ काम करने की अनुमति दी है।

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