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कोरोनाः भारत का ऐसा राज्य जहां एक भी नहीं है ग्रीन जोन, जानिए क्यों


बिहार में कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकार ने किसी भी जिले को ग्रीन जोन जैसी रियायत नहीं देने का निर्णय लिया है। बिहार के जिलों को सिर्फ रेड और ऑरेंज जोन में बांटा गया है। ग्रीन जोन की व्यवस्था फिलहाल लागू नहीं की गई है।गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने इसका आदेश जारी किया है। लॉकडाउन को सख्ती से लागू रखने के पीछे की वजह कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों व छात्रों को भी माना जा रहा है। आदेश में लिखा गया है, बिहार के नए-नए इलाकों में कोरोना वायरस के हो रहे लगातार प्रसार और आगामी कुछ दिनों में अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूरों और छात्रों के बड़ी संख्या में आगमन की स्थिति को देखते हुए आवश्यक है कि लॉकडाउन का कड़ाई से लागू किया जाए। इसी कारण राज्य में दो ही प्रकार के जोन होंगे। रेड जोन में आवश्यक वस्तुओं से अलग दूसरी दुकानों को खोलने या अन्य छूट देने का निर्णय जिलाधिकारी स्थानीय परिस्थितियों के मद्देनजर ले सकते हैं। केंद्र ने राज्य के पांच जिलों को रेड जोन में रखा है। इसमें पटना, मुंगेर, बक्सर, रोहतास व गया शामिल हैं। राज्य सरकार के निर्णय के बाद बाकी के 33 जिले ऑरेंज जोन में आ गए हैं।उधर, लॉकडाउन के दूसरे चरण के खत्म होते ही कोटा में फंसे बिहार के छात्रों को राहत मिल गई है। बता दें कि कोटा से करीब 1200 छात्रों को लेकर एक स्पेशल ट्रेन सोमवार सुबह बेगूसराय के बरौनी जंक्शन पहुंच गई, जहां विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच की गई। अब प्रशासन बसों के जरिए उन्हें उनके गृह जिलों में भेजेगा। बता दें कि अपने-अपने जिले में पहुंच जाने के बाद भी छात्र-छात्राओं को सीधे घर जाने की इजाजत नहीं मिलेगी। उन्हें पहले प्रखंड स्तर पर बनाए गए क्वारेंटीन सेंटर पर रखा जाएगा। कोटा में फंसे इन छात्रों को लेकर बिहार सरकार की काफी किरकिरी हुई है। कोटा में फंसे मजदूर भी श्रमिक स्पेशल ट्रेन से बिहार पहुंच चुके हैं, अब छात्रों के पहुंचने से बिहार सरकार को राहत मिली है। बता दें कि कोटा में फंसे इन छात्रों ने मीडिया के सामने कई बार अपनी तकलीफ साझा की थी और कहा था कि उन्हें न तो सही से खाना मिल रहा है, ना ही खाना बनाने के लिए राशन।

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